आखिर स्वर कोकिला नाम क्यूं पड़ा Lata Mangeshkar का, जानिए स्वर कोकिला की इस यात्रा को
आज 6 फरवरी 2024 को स्वर कोकिला Lata Mangeshkar जी की दूसरी पुण्यतिथि मनाई जा रही है , आज ही के दिन 6 फरबरी 2022 को कोविड के कारण 92 वर्ष की उम्र में बॉम्बे के प्राइवेट अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली थी। उन्होंने अपने पूरे जीवनकाल में 50000 से ज्यादा गाने गाये, जिसे उन्होंने 36 से ज्यादा भाषाओं में गाए, लेकिन उन्होंने कभी अपने गानों को किसी भी टेलीविजन या रेडियो पर नहीं सुना, क्योंकि उनका अपना मानना था की मुझे उसमे कोई ना कोई कमी जरूर समझ आएगी. उनके फैंस हमेशा उनके गाने पर बहुत ही प्यार लुटाते हैं और लोग उन्हें इसी सम्मान की वजह से हमेशा लता दीदी कहकर पुकारते थे। आज लता दीदी हमारे बीच नहीं हैं पर उनके गाए हुए गाने हमेशा उनकी याद दिलाते हैं की कैसे वो हमारे बीच में मौजूद हैं आइये जानते हैं उनके साथ के कुछ यादगार लम्हें
मात्र 13 वर्ष की उम्र में गायी थी पहला गाना
स्वर कोकिला Lata Mangeshkar मात्र 13 वर्ष की उम्र से गीत गाने लगी थीं और उनकी पहली फिल्म का गाना ‘पहली मंगलागौर’ था, जिसने उन्हें पहली फिल्म में ही एक अलग पहचान दे दी थी. उन्हें वर्ष 2001 में उस समय के राष्ट्रपति “के आर नारायणन” के द्वारा भारत रत्न से सम्मानित किया गया था, उनके बचपन का नाम हेमा था लेकिन उनके पिता दीनानाथ जी ने नाम बदलकर लता रख दिया था। लता जी की 3 बहनें थी आशा भोसले, उषा मंगेशकर और मीना मंगेशकर और एक भाई ह्रदयनाथ मंगेशकर थे. Lata Mangeshkar हमेशा सफेद रंग की साड़ी ही पहनती थीं और जब उनसे यह पूछा गया की वो उस रंग की साड़ी क्यूं पहनती हैं तो उन्होंने बताया की उनके ऊपर उसी रंग की साड़ी अच्छी लगती है , तब से वो हमेशा सफेद रंग की साड़ी ही पहनने लगीं।
प्रधानमंत्री नेहरू भी स्वर कोकिला की आवाज को सुनकर रो पड़े
स्वर कोकिला Lata Mangeshkar ने जब वर्ष 1948 उस समय के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू जी के सामने ‘ऐ मेरे वतन के लोगों ‘ गाना गाया तो उनके आंखों से भी आंसू निकल पड़े और नेहरू जी ने उन्हें बेटी कहकर पुकारा और बोला की आज तुम्हारे गाने ने मुझे रूला दिया. लता मंगेशकर जी को पहली फिल्म से 25 रुपए मिले थे और उसके बाद उन्होंने bollywood के लिए बहुत सारे गीत लिखे , जिसके वजह से उन्हें बहुत सारे अवार्ड भी मिले , उसके बाद वर्ष 2019 में भारत सरकार ने उन्हें 90 वर्ष की उम्र में ‘Daughter of the Nation’ अवार्ड से नवाजा। आज हम सब उनकी दूसरी पुण्यतिथि मना रहे हैं और ऐसे में हम उनके जीवन के कुछ अविस्मरणीय पल याद करते हैं । लता दीदी का जन्म मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में 28 सितंबर 1929 को हुआ था बाद में उनके पिता जी के दोस्त मास्टर विनायक उन्हें संगीत की दुनिया में ले आए और फिर उन्होंने संगीत की दुनियां में ऐसा इतिहास रचा की आजीवन सर्वोपरी रहने वाला है और उसे तोड़ पाना तो दूर उसके करीब पहुंचना भी किसी के बस की बात नहीं है। उन्होंने मजबूर फिल्म का गाना दिल मेरा तोड़ो गाया था और यह गाना उनका सुपरहिट हुआ था।
Lata Mangeshkar के जीवन की उपलब्धियां
उन्हें अपने पूरे जीवनकाल में 75 से ज्यादा अवार्ड से सम्मानित किया गया , उन्हें 1969 में पद्म भूषण से और 1989 में दादा साहब फालके अवार्ड से सम्मानित किया गया और उसके बाद 1999 में पद्म विभूषण और 2001 में भारत रत्न दिया गया। उन्हें अपने पूरे जीवनकाल में कुल 7 फिल्मफेयर पुरस्कार मिले. Lata Mangeshkar जी का नाम दुनिया के सबसे बड़े वर्ल्ड रिकॉर्ड ‘गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ में शामिल है. उन्होंने अपने जीवन में कई किताबें भी लिखी जिसमें से एक किताब का नाम ‘एक और किताब है’ और दूसरी किताब का नाम ‘लता समग्र’ है। Lata Mangeshkar के जीवन की उपलब्धियों को केवल एकमात्र हमारे Dailyindia365 के पोस्ट से बयान कर पाना संभव नहीं है। मरणोपरांत संपूर्ण भारतवर्ष में रास्ट्रीय संपत्तियों को उनके नाम से जाना जाने लगा है, जिनमे से मुख्य शहरों में AYODHYA का नाम आता है ayodhya में दीदी के नाम पर फैजाबाद अयोध्या के मध्य स्थित उदया चौराहा के नाम को बदलकर दीदी के नाम पर लता मंगेशकर चौक कर दिया गया।
Lata Mangeshkar का अंतिम संस्कार बॉम्बे के शिवाजी पार्क में किया गया था और भारत सरकार ने 2 दिन की राजकीय छुट्टी घोषित की थी,